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आसमा में कोई नक्श नही

इंसान से परिंदे कई पहलुओं में अलग और आगे है ! इंसान को कुछ मिलों के सफर के लिए भी नकसे की जरूरत पड़ती है ।  यहीं कारण है की इंसान पहले से ही नकसे के सहारे रहा है ,आज तो  उनके ही सहारे जीता है । फर्क इतना है की कागज़ में रहा करता नकसा अब मोबाइल में आ गया है । लोग ड्राइविंग करते समय तो बार बार मोबाइल में नकसा देखते है जैसे बाकी सिदिकी ने बयां किया है । 
 ab to hotā hai har qadam pe gumāñ
ham ye kaisā qadam uThāne lage " 

  आइए अब थोड़ी परिंदे की बात करते है । क्या कभी परिंदे भटक जाते है ?  दर असल परिंदे की कुछ ऐसी ही कुछ खासियत के लिए  कुछ लिखना चाहता था लेकिन फिर रुक गया । क्यों ?! डॉक्टर लाखानी की ये शायरी मिल गई जिसमें इंसान और परिंदे के बीच का एक बड़ा फर्क  बहुत ही थोड़े शब्दों में समझा दिया है ! 
आप भी पढ़िए और अच्छी लगे तो दूसरे लोगों को भी ये फर्क समझाइए ,इसे फॉरवर्ड करके ।


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असली फूल

वक्त का मिज़ाज

हिंदी साहित्य और फ़िल्म के शोखिन लोगोने राजेश खन्ना अभिनीत कर्म फिल्म जरूर देखी होगी । अगर फिल्म नही देखी हो तो ये गाना तो जरूर सुना होगा जो इंटरनेट पर शुरुआती डायलॉग के साथ उपलब्ध है ।  शुरुआती दिनों में नायक और नायिका की जिंदगी बहुत खुशी से गुज़र रही थी । एक बार ऐसी ही खुशी के माहोल में वे कुछ युन्ह बाते करते है।  " काश ये वक्त ठहर जाए...." " वक्त कभी नहीं ठहरता...   "  " अगर ठहरता ना हो तो धीमा तो चल सकता है ना..."  नायिका नायक को पूछती है  और फिर उम्मीद से  ये गाना गाती है । " समय तु धीरे धीरे चल...! "    क्योंकि वो खुशी के पलो को जी भर के जीना चाहती थी ।    फिर वक्त बदला और उन लोगो की जिंदगी में तूफान आया । वो वक्त ऐसा था की मानो समय रुक गया हो ! फिर वही नायिका ये गीत गाती है ।  " समय तू जल्दी जल्दी चल...." !! यहीं तो समय का मिज़ाज है  । अच्छा समय बहुत जल्दी चलता है और गम से भरा धीरे धीरे ...। इसी विषय पर Yash Murad की एक खूब सूरत शायरी पढ़े और औरों को भी पढ़ाए । 

आवारा बादल

हम में से शायद ही ऐसा कोई होगा जिसने आसमान में बादलों को नहीं देखा होगा । जब हवा तेज होती है तब ऐसा लगता की बादल आवारा हो गए है । कई शायरों ने भी आवारा बादल पर बहुत कुछ लिखा है । तो कहने का मतलब है की सभीने  आवारा होने का इल्ज़ाम बादल पर ही लगाया है । क्या कभी किसीने ये  इसके बारे में ज्यादा सोचा है ? जी  हा , डॉक्टर लाखाणी ने सोचा है और बहुत ही अलग सोचा है । इसी पर उन्ही की एक शायरी जरूर पढ़े ।