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तो कुछ और होता ...

जिनके आशिक बेशुमार थे हमने उस चांद को चाहा, कोई गुमनाम सितारा चाहा होता तो वो सिर्फ हमारा होता हवाओं ने कश्ती को गुमराह ना किया होता, वोह नहीं तो शायद हमारा कोई और किनारा होता। तुजसे महुब्बत थी इस लिए तेरे सारे जुल्म सह गए, तु कोई गैर होता तो हमारा जवाब भी करारा होता इतने गम ओ हसरतों को सहना नही पड़ता, तेरी ज़िद्द न होती तो कोई और हमारा सहारा होता। अब की बार मौसम ए गुल में भी दिल वीरान रहा तुम होते तो हर मौसम जश्न ए बहारा होता।    ~ Dr. Malik Lakhani