हाथो की लकीर के बारे में तो बहुत कुछ लिखा गया है मगर क्या कभी किसी ने दिल की लकीर के बारे में लिखा है?! लिखा तो क्या ,शायद ही किसी ने सोचा होगा की दिल पर भी लकीर होती है ! हकीकत में दिल की लकीर साफ दिखती होती है मगर उसे देखने के लिए खास नज़र चाहिए । डॉक्टर मलिक लखानी के पास ऐसी नज़र है जिन पर उसने ये शायरी लिखी है !👇
हिंदी साहित्य और फ़िल्म के शोखिन लोगोने राजेश खन्ना अभिनीत कर्म फिल्म जरूर देखी होगी । अगर फिल्म नही देखी हो तो ये गाना तो जरूर सुना होगा जो इंटरनेट पर शुरुआती डायलॉग के साथ उपलब्ध है । शुरुआती दिनों में नायक और नायिका की जिंदगी बहुत खुशी से गुज़र रही थी । एक बार ऐसी ही खुशी के माहोल में वे कुछ युन्ह बाते करते है। " काश ये वक्त ठहर जाए...." " वक्त कभी नहीं ठहरता... " " अगर ठहरता ना हो तो धीमा तो चल सकता है ना..." नायिका नायक को पूछती है और फिर उम्मीद से ये गाना गाती है । " समय तु धीरे धीरे चल...! " क्योंकि वो खुशी के पलो को जी भर के जीना चाहती थी । फिर वक्त बदला और उन लोगो की जिंदगी में तूफान आया । वो वक्त ऐसा था की मानो समय रुक गया हो ! फिर वही नायिका ये गीत गाती है । " समय तू जल्दी जल्दी चल...." !! यहीं तो समय का मिज़ाज है । अच्छा समय बहुत जल्दी चलता है और गम से भरा धीरे धीरे ...। इसी विषय पर Yash Murad की एक खूब सूरत शायरी पढ़े और औरों को भी पढ़ाए ।
टिप्पणियाँ